Saturday, 7 July 2012


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[07-07-2012]

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - पवित्रता का कंगन बांधो तो तुम्हें राजतिलक मिल जायेगा, पावन बनने की प्रतिज्ञा करो''
प्रश्न: तुम बच्चों को अभी किस बंधन में बंधना है?
उत्तर: बाप को याद करने का बंधन। इस बंधन में बंधने से तुम्हारे सब विकर्म विनाश हो जायेंगे और आगे विकर्म करने से बच जायेंगे। आत्मा पावन बन जायेगी।
प्रश्न:- भक्ति मार्ग का फैशन क्या है?
उत्तर:- बर्थ डे, जयन्ती आदि मनाना - यह भक्तिमार्ग का फैशन है। परन्तु इससे फायदा कुछ भी नहीं क्योंकि जिनकी जयन्ती मनाते हैं, उनको यथार्थ रीति जानते भी नहीं हैं।
गीत:- तू प्यार का सागर है....
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) योग में रहकर विकर्माजीत बनना है। विकर्मो पर जीत पाने से ही विकर्माजीत राजा बनेंगे। स्वयं को स्वयं ही स्वराज्य तिलक देना है।
2) पवित्र बन पवित्रता की राखी सबको बांधनी है। कमल फूल समान रहना है।
वरदान: शुद्धि की विधि द्वारा किले को मजबूत बनाने वाले सदा विजयी वा निर्विघ्न भव
जैसे कोई भी कार्य शुरू करते हो तो शुद्धि की विधि अपनाते हो, ऐसे जब किसी स्थान पर कोई विशेष सेवा शुरू करते हो वा चलते-चलते सेवा में कोई विघ्न आते हैं तो पहले संगठित रूप में चारों ओर विशेष टाइम पर एक साथ योग का दान दो। सर्व आत्माओं का एक ही शुद्ध संकल्प हो - विजयी। यह है शुद्धि की विधि, इससे सभी विजयी वा निर्विघ्न बन जायेंगे और किला मजबूत हो जायेगा।
स्लोगन: यथार्थ कर्म का प्रत्यक्षफल है - खुशी और शक्ति की प्राप्ति।